09-03-85  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

गोल्डन जुबली द्वारा गोल्डन एज के आगमन की सूचना

गोल्डन दुनिया के स्थापक शिव बाबा अपने विजयी रत्नों प्रति बोले

आज बापदादा सभी बच्चों के पुरूषार्थ की लगन को देख रहे थे। हर एक बच्चा अपने-अपने हिम्मत-उल्लास से आगे बढ़ते जा रहे हैं। हिम्मत भी सबमें हैं, उमंग-उल्लास भी सबमें हैं। हर एक के अन्दर एक ही श्रेष्ठ संकल्प भी है कि हमें बापदादा के समीप रत्न, नूरे रतन, दिल तख्तनशीन दिलाराम के प्यारे बनना ही है। लक्ष्य भी सभी का सम्पन्न बनने का है। सभी बच्चों के दिल का आवाज़ एक ही है कि स्नेह की रिटर्न में हमें ‘समान और सम्पन्न’ बनना है। और इसी लक्ष्य प्रमाण आगे बढ़ने में सफल भी हो रहे हैं। किसी से भी पूछो - क्या चाहते हो? तो सभी का एक ही उमंग का आवाज़ है कि सम्पूर्ण और सम्पन्न बनना ही है। बापदादा सभी का यह उमंग-उत्साह देख, श्रेष्ठ लक्ष्य देख हर्षित होते हैं। और सभी बच्चों को ऐसे एक उमंग-उत्साह की, एक मत की आफरीन देते हैं कि कैसे एक बाप, एक मत, एक ही लक्ष्य और एक ही घर में, एक ही राज्य में चल रहे हैं वा उड़ रहे हैं। एक बाप और इतने योग्य वा योगी बच्चे, हर एक, एक दो से विशेषता में विशेष आगे बढ़ रहे हैं। सारे कल्प में ऐसा न बाप होगा, न बच्चे होंगे जो कोई भी बच्चा उमंग-उत्साह में कम न हो। विशेषता सम्पन्न हो। एक ही लगन में मगन हो। ऐसा कभी हो नहीं सकता। इसलिए बापदादा को भी ऐसे बच्चों पर नाज़ है। और बच्चों को बाप का नाज़ है। जहाँ भी देखो एक ही विशेष आवाज़ सभी की दिल अन्दर है। ‘बाबा और सेवा’! जितना बाप से स्नेह है उतना सेवा से भी स्नेह है। दोनों स्नेह हरेक के ब्राह्मण जीवन का जीयदान हैं। इसी में ही सदा बिजी रहने का आधार मायाजीत बना रहा है।

बापदादा के पास सभी बच्चों के सेवा के उमंग-उत्साह के प्लैन्स पहुँचते रहते हैं। प्लैन सभी अच्छे ते अच्छे हैं। ड्रामा अनुसार जिस विधि से वृद्धि को प्राप्त करते आये हो वह आदि से अब तक अच्छे ते अच्छा ही कहेंगे। अभी सेवा की वा ब्राह्मणों के विजयी रत्न बनने की वा सफलता के बहुत वर्ष बीत चुके हैं। अभी गोल्डन जुबली तक पहुँच गये हो। गोल्डन जुबली क्यों मना रहे हो? क्या दुनिया के हिसाब से मना रहे हो। वा समय के प्रमाण विश्व को तीव्रगति से सन्देश देने के उमंग से मना रहे हो! चारों ओर बुलन्द आवाज़ द्वारा सोई हुई आत्माओं को जगाने का साधन बना रहे हो! जहाँ भी सुनें, जहाँ भी देखें वहाँ चारों ओर यही आवाज़ गूँजता हुआ सुनाई दे कि समय प्रमाण अब गोल्डन एज सुनहरी समय, सुनहरी युग आने का सुनहरी सन्देश द्वारा खुशखबरी मिल रही है। इस गोल्डन जुबली द्वारा गोल्डन एज के आने की विशेष सूचना वा सन्देश देने के लिए तैयारी कर रहे हो। चारों ओर ऐसी लहर फैल जाए कि अब सुनहरी युग आया कि आया! चारों ओर ऐसा दृश्य दिखाई दे जैसे सवेरे के समय अंधकार के बाद सूर्य उदय होता है तो सूर्य का उदय होना और रोशनी की खुशखबरी चारों ओर फैलना। अंधकार भूल और रोशनी में आ जाते। ऐसी विश्व की आत्मायें जो दुख अशान्ति के समाचार सुन सुन, विनाश के भय में भयभीत हो, दिलशिकस्त हो गई हैं, नाउम्मींद हो गई हैं ऐसे विश्व की आत्माओं को इस गोल्डन जुबली द्वारा शुभ उम्मीदों का सूर्य उदय होने का अनुभव कराओ। जैसे विनाश की लहर है वैसे सतयुगी सृष्टि के स्थापना की खुशखबरी की लहर चारों ओर फैलाओ। सभी के दिल में यह उम्मीद का सितारा चमकाओ। क्या होगा, क्या होगा के बजाए समझें कि ‘अब यह होगा’। ऐसी लहर फैलाओ। गोल्डन जुबली गोल्डन एज के आने की खुशखबरी का साधन है। जैसे आप बच्चों को दुखधाम देखते हुए भी सुखधाम सदा स्वत: ही स्मृति में रहता है और सुखधाम की स्मृति दुखधाम भुला देती है। और सुखधाम वा शन्तिधाम जाने की तैयारियों में खोये हुए रहते हो। जाना है और सुखधाम में आना है। जाना है और आना है - यह स्मृति समर्थ भी बना रही है और खुशी-खुशी से सेवा के निमित्त भी बना रही है। अभी लोग ऐसे दुःख की खबरें बहुत सुन चुके हैं। अब इस खुशखबरी द्वारा दुःखधाम से सुखधाम जाने के लिए खुशी-खुशी से तैयार करो उन्हों में भी यह लहर फैल जाए कि हमें भी जाना है। नाउम्मीद वालों को उम्मीद दिलाओ। दिलशिकस्त आत्माओं को खुशखबरी सुनाओ। ऐसे प्लैन बनाओ जो विशेष समाचार पत्रों में वा जो भी आवाज़ फैलाने के साधन हैं - एक ही समय एक ही खुशखबरी वा सन्देश चारों ओर सभी को पहुँचे। जहाँ से भी कोई आवे तो यह एक ही बात सभी को मालूम पड़े। ऐसे तरीके से चारों ओर एक ही आवाज़ हो। नवीनता भी करनी है। अपने नॉलेजफुल स्वरूप को प्रत्यक्ष करना है। अभी समझते हैं कि शान्त स्वरूप आत्मायें हैं। शान्ति का सहज रास्ता बताने वाले हैं। यह स्वरूप प्रत्यक्ष हुआ भी है और हो रहा है। लेकिन नॉलेजफुल बाप की नॉलेज है तो ‘यही’ है। अब यह आवाज़ हो। जैसे अब कहते हैं शान्ति का स्थान है तो यही है। ऐसे सबके मुख से यह आवाज़ निकले कि सत्य ज्ञान है तो यही है। जैसे शान्ति और स्नेह की शक्ति अनुभव करते हैं वैसे सत्यता सिद्ध हो, तो और सब क्या हैं, वह सिद्ध हो ही जायेगा। कहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। अब वह सत्यता की शक्ति कैसे प्रत्यक्ष करो, वह विधि क्या अपनाओ जो आपको कहना न पड़े। लेकिन वह स्वयं ही कहें कि इससे यह सिद्ध होता है कि सत्य ज्ञान परमात्म ज्ञान शक्तिशाली ज्ञान है तो यही है। इसके लिए विधि फिर सुनायेंगे। आप लोग भी इस पर सोचना। फिर दूसरे बारी सुनायेंगे। स्नेह और शान्ति की धरनी तो बन गई है ना। अभी ज्ञान का बीज पड़ना है तब तो ज्ञान के बीज का फल ‘स्वर्ग’ के वर्से के अधिकारी बनेंगे।

बापदादा सभी देखते-सुनते रहते हैं। क्या-क्या रूह-रूहान करते हैं। अच्छा प्यार से बैठते हैं, सोचते हैं। मथनी अच्छी चला रहे हैं। माखन खाने लिए मंथन तो कर रहे हैं। अभी गोल्डन जुबली का मंथन कर रहे हैं। शक्तिशाली माखन ही निकलेगा। सबके दिल में लहर अच्छी है। और यही दिल के उमंगों की लहर वायुमण्डल बनाती हैं। वायुमण्डल बनते-बनते आत्माओं में समीप आने की आकर्षण बढ़ती जाती है। अभी जाना चाहिए, देखना चाहिए यह लहर फैलती जा रही है। पहले था कि पता नहीं क्या है? अभी है कि अच्छा है, जाना चाहिए। देखना चाहिए। फिर आखरीन कहेंगे कि - यही हैं। अभी आपके दिल का उमंग- उत्साह उन्हों में भी उमंग पैदा कर रहा है। अभी आपकी दिल नाचती है। उन्हों के पांव चलने शुरू होते हैं। जैसे यहाँ कोई बहुत अच्छा डांस करता है तो दूर बैठने वालों का भी पांव चलना शुरू हो जाता है। ऐसा उमंग-उत्साह का वातावरण अनेकों के पांव को चलाने शुरू कर रहा है। अच्छा –

सदा अपने को गोल्डन दुनिया के अधिकारी अनुभव करने वाले, सदा अपनी गोल्डन एजड स्थिति बनाने के उमंग-उत्साह में रहने वाले, सदा रहमदिल बन सर्व आत्माओं को गोल्डन एज का रास्ता बताने की लगन में रहने वाले, सदा बाप के हर एक गोल्डन वरशन को जीवन में धारण करने वाले, ऐसे सदा बापदादा के दिल तख्तनशीन, सदा स्नेह में समाये हुए विजयी रत्नों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।’’

आस्ट्रेलिया के भाई-बहिनों से अव्यक्त बापदादा की मुलाकात -  सारा ग्रुप समीप आत्माओं का है ना? बापदादा सदा बच्चों को समीप रत्न के रूप में देखते हैं। समीप रहना अर्थात् जैसा बाप वैसे बच्चे। ऐसे अनुभव करते हो? हर कदम में फॉलो फादर करने वाले हो! बापदादा आस्ट्रेलिया निवासियों को सदा आगे रखते हैं क्योंकि जितना स्वयं प्राप्त करते हैं उतना औरों को देने का उमंग-उत्साह अच्छा रहा है। सेवा का उमंग अच्छा है। जिसका सेवा से प्यार है - यह सिद्ध करता है कि बाप से भी प्यार है। शक्तियाँ भी सेवा के उमंग में हैं तो पाण्डव भी। पाण्डव भी आज्ञाकारी हैं तो शक्तियाँ भी कमाल करने वाली हैं। शक्तियों को आगे बढ़ने का समय है। क्योंकि आधाकल्प दुनिया वालों ने शक्तियों को नीचे किया इसलिए बाप संगमयुग पर चांस दे रहा है। तो अभी शक्तियाँ क्या करेंगी? बापदादा को सेवा के आदि का समय याद आ रहा है, शक्तियों का झुण्ड बहुत अच्छा लवली रूप रहा है। अभी भी सदा ही आगे चांस लेने वाली बनो। पाण्डव तो स्वत: उनके साथ हैं। क्योंकि दोनों के बिना कोई कार्य चलता नहीं। अच्छा – ओम शान्ति।